Home » Uttarakhand Place Name Change : धामी सरकार ने बदले 15 जगहों के नाम…जिस मियांवाला पर छिड़ा विवाद

Uttarakhand Place Name Change : धामी सरकार ने बदले 15 जगहों के नाम…जिस मियांवाला पर छिड़ा विवाद

Uttarakhand Place Name Change

Uttarakhand Place Name Change : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में 15 जगहों के नाम बदलने की घोषणा की। सरकार का कहना है कि यह निर्णय स्थानीय लोगों की भावनाओं और सांस्कृतिक विरासत को ध्यान में रखकर लिया गया है। जिससे लोग भारतीय संस्कृति और इसके संरक्षण में योगदान देने वाले महापुरुषों से प्रेरणा ले सकें।

Waqf Amendment Bill : 12 घंटे चर्चा के बाद आज राज्यसभा में पेश होगा वक्फ संशोधन विधेयक बिल

धामी सरकार के इस निर्णय के बाद कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। खासतौर पर देहरादून नगर निगम के मियांवाला का नाम रामजीवाला किए जाने पर विवाद छिड़ा हुआ है। लेखक एवं वरिष्ठ पत्रकार शीशपाल गुसाईं ने मियांवाला के इतिहास को लेकर जानकारी दी।

वह बताते हैं कि हिमाचल प्रदेश के वर्तमान कांगड़ा जिले में कभी गुलेर रियासत का गौरवशाली इतिहास रहा था। यह रियासत न केवल अपने शासन और संस्कृति के लिए जानी जाती थी, बल्कि इसके गहरे संबंध उत्तराखंड की गढ़वाल और टिहरी गढ़वाल रियासतों से भी थे। इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि गढ़वाल और टिहरी गढ़वाल के लगभग 13 राजाओं के वैवाहिक और पारिवारिक रिश्ते हिमाचल प्रदेश की रियासतों, विशेष रूप से गुलेर, से जुड़े हुए थे। इन रिश्तों ने दोनों क्षेत्रों के बीच सांस्कृतिक और सामाजिक आदान-प्रदान को मजबूत किया।

गुलेरिया जी के नाम से जाना जाता था,गुलेर रियासत (Uttarakhand Place Name Change)

गढ़वाल के इतिहास में सबसे लंबे समय तक, लगभग 60 वर्षों तक, शासन करने वाले राजा प्रदीप शाह का ससुराल गुलेर रियासत में था। इसी तरह, टिहरी गढ़वाल के तीसरे राजा प्रताप शाह की महारानी, जिन्हें गुलेरिया जी के नाम से जाना जाता था, गुलेर रियासत से थीं। यह महारानी टिहरी के राजा कीर्ति शाह की माता व महाराजा नरेंद्र शाह की दादी भी थीं। इन वैवाहिक संबंधों ने गुलेर और गढ़वाल-टिहरी के बीच एक मजबूत कड़ी स्थापित की। गुलेर रियासत के लोगों को “मियां” की सम्मानजनक उपाधि से नवाजा गया था, जो उस समय की बोलचाल और परंपरा में प्रचलित हो गया।

प्रदीप शाह के शासनकाल से ही गुलेरिया लोग अपने रिश्तेदारों के साथ गढ़वाल आने लगे थे। इन लोगों को “डोलेर” भी कहा जाता था, जिसका अर्थ है कि वे दुल्हन रानी की डोली के साथ-साथ गढ़वाल आए थे। ये गुलेरिया लोग बड़े और सम्मानित राजपूत थे, जिनका प्रभाव और पहचान दोनों क्षेत्रों में फैली हुई थी। जब रियासतों से लोग गढ़वाल या टिहरी गढ़वाल की ओर आए, तो गुलेरिया भी उनके साथ थे। गढ़वाल और टिहरी के राजाओं ने इन लोगों को अपनी सेवा और रिश्तेदारी के सम्मान में कई जागीरें प्रदान कीं। इनमें से एक प्रमुख जागीर देहरादून के पास मियांवाला थी।

“मियां” कोई जाति नहीं

यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि “मियां” कोई जाति नहीं है, बल्कि यह गुलेरिया लोगों के लिए प्रयुक्त एक उपाधि थी, जो मूल रूप से गुलेर रियासत से संबंधित थे। राजा प्रदीप शाह ने इन गुलेरिया लोगों को मियांवाला से लेकर कुआंवाला तक की विशाल जागीर प्रदान की थी, ताकि वे अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें और सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें। इन जागीरों के साथ-साथ गुलेरिया लोग गढ़वाल और टिहरी के विभिन्न क्षेत्रों में बस गए। आज भी टिहरी गढ़वाल के भिलंगना ब्लॉक में कंडारस्यूं और जखन्याली गांव, नरेंद्रनगर ब्लॉक में रामपुर गांव, पौड़ी गढ़वाल में नौगांव खाल के निकटवर्ती क्षेत्र, और उत्तरकाशी के नंदगांव आदि जैसे गांवों में “मियां” कहे जाने वाले ये लोग निवास करते हैं।

दरअसल, “मियां” शब्द इन लोगों की बोलचाल की भाषा और स्थानीय परंपरा में इस तरह रच-बस गया कि यह उनकी पहचान का हिस्सा बन गया। लेकिन मूल रूप से ये गुलेरिया लोग हैं, जो हिमाचल प्रदेश के गुलेर से उत्तराखंड आए और यहां की भूमि पर बस गए। उत्तराखंड के प्रसिद्ध इतिहासकार और पुरातत्वविद, पद्मश्री डॉ. यशवंत सिंह कटोच, भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि मियांवाला जागीर का नाम गढ़वाल की राजपूत जाति के गुलेरिया लोगों की पदवी नाम पर पड़ा। उनके अनुसार, यह जागीर इन लोगों को उनके योगदान और रिश्तेदारी के सम्मान में दी गई थी।

Nainital High Court : उत्‍तराखंड सरकार की मान्यता के बिना नहीं चला सकेंगे मदरसा, हाई कोर्ट का आदेश

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *